FD New Rules करने वालों के लिए बड़ा झटका : नया टैक्स नियम लागू, अब ऐसे बचाएं हजारों रुपये

यदि आप बैंक में Fixed Deposit (FD) कराते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है। हाल ही में इनकम टैक्स नियमों में बदलाव किए गए हैं। यह बदलाव एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स को प्रभावित कर सकता है।

इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि आपको कितना टैक्स देना होगा। हम आपको नए नियमों के बारे में भी बताएंगे। इसके अलावा, हम आपको बचने के तरीके भी सिखाएंगे।

FD पर कितना टैक्स देना होगा?

भारत में एफडी पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल इनकम माना जाता है। यह ब्याज आपकी कुल आय में जुड़ जाता है। इसके आधार पर आपको टैक्स देना पड़ता है।

अगर आपकी सालाना इनकम टैक्स स्लैब में आती है, तो आपको अपनी टैक्स स्लैब के हिसाब से एफडी के ब्याज पर टैक्स देना होगा।

अगर आपकी इनकम टैक्स फ्री लिमिट (₹2.5 लाख) से कम है, तो आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

TDS (Tax Deducted at Source) का नया नियम

बैंक और पोस्ट ऑफिस 10,000 रुपये से ज्यादा के सालाना ब्याज पर TDS काटते हैं। लेकिन नए नियम के तहत:

बैंक FD पर: ₹40,000 से ज्यादा ब्याज पर 10% TDS कटेगा (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000 की लिमिट)।

पोस्ट ऑफिस FD पर: ₹10,000 से ज्यादा ब्याज पर 10% TDS कटेगा।

अगर PAN नहीं दिया है, तो बैंक 20% TDS काट सकता है।

महत्वपूर्ण: अगर आपकी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती, तो आप फॉर्म 15G/15H जमा करके TDS कटने से बच सकते हैं।

FD पर टैक्स से कैसे बचें?

एफडी पर कम टैक्स देने के लिए, आप इन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं:

फॉर्म 15G/15H भरें – अगर आपकी कुल इनकम टैक्स फ्री लिमिट के अंदर है, तो बैंक में यह फॉर्म जमा करें ताकि TDS न कटे।

5 साल की टैक्स सेविंग FD कराएं – इस तरह की FD में इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट मिलता है।

ब्याज को अलग-अलग खातों में बांटें – अगर परिवार में किसी सदस्य की इनकम कम है, तो उनके नाम से FD कराएं, जिससे टैक्स की बचत हो सकता है।

पोस्ट ऑफिस की SCSS स्कीम चुनें – वरिष्ठ नागरिकों के लिए पोस्ट ऑफिस की Senior Citizen Savings Scheme (SCSS) बेहतर विकल्प हो सकती है।

FD को अलग-अलग बैंकों में कराएं – ऐसा करने से किसी एक बैंक में सालाना ब्याज की लिमिट पार नहीं होगी और TDS कम कटेगा।

नए नियमों का असर किन लोगों पर ज्यादा पड़ेगा?

जिनकी सालाना इनकम ₹12.5 लाख से ज्यादा है और वे टैक्स के दायरे में आते हैं।

जो लोग एक ही बैंक में बड़ी रकम एफडी के रूप में रखते हैं।

वरिष्ठ नागरिक, जिन्हें ₹50,000 से ज्यादा ब्याज मिलता है और TDS कट सकता है।

निष्कर्ष

अगर आप FD कराने की सोच रहे हैं, तो इनकम टैक्स के नए नियमों को ध्यान में रखना जरूरी है। TDS बचाने के लिए फॉर्म 15G/15H भरें।

टैक्स सेविंग FD का फायदा उठाएं। ब्याज को अलग-अलग खातों में बांटकर टैक्स बचा सकते हैं। अपनी इनकम के अनुसार सही निवेश करें।

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